November 5, 2025

"पढ़िए गीता" - रघुवीर सहाय

"पढ़िए गीता"

पढ़िए गीता
बनिए सीता

फिर इन सबमें लगा पलीता
किसी मूर्ख की हो परिणीता

निज घरबार बसाइए।
होएँ कँटीली

आँखें गीली
लकड़ी सीली, तबियत ढीली

घर की सबसे बड़ी पतीली
भरकर भात पसाइए।

[ रचनाकार: - रघुवीर सहाय ]