December 30, 2009

"मंत्र" - बाबा नागार्जुन

पिछले कुछ दिनों में कुछ खास और बेहतरीन कवितायों को पढने का मौका मिला| पढने के बाद लगा की मेरे जैसे बहुतों को इन कविताओ के बारे में पता भी नहीं हैं| सो सोचा हैं कि अब कुछ वैसी कविताओ को भी यहाँ लिखू, ताकि मेरी तरह सबको परेशानी नहीं हो, उन्हें पाने में| शुरुआत बाबा नागार्जुन की कविता "मंत्र" से कर रहा हूँ| इस कविता को संजय झा ने आपनी फिल्म "स्ट्रिंग - बौंड ऑफ़ फैथ" में एक गीत के रूप में लिया हैं, जिसे जुबीन गर्ग ने गया हैं|

"मंत्र"

ब्द ही ब्रह्म है..
ब्द्, और ब्द, और ब्द, और ब्द
प्रण‌, ाद, मुद्रायें
क्तव्य‌, उदार्, घोषणाएं
ाष‌...
प्रव‌...
हुंकार, टकार्, शीत्कार
फुसफुस‌, फुत्कार, चीत्कार
आस्फाल‌, इंगित, इशारे
ारे, और ारे, और ारे, और ारे

कुछ, कुछ, कुछ
कुछ हीं, कुछ हीं, कुछ हीं
त्थ की दूब, रगोश के सींग
-तेल-ल्दी-जीरा-हींग
मूस की लेड़ी, नेर के ात
ाय की चीख‌, औघड़ की अट ात
कोय-इस्पात-पेट्रोल
मी ठोस‌, ाकी फूटे ढोल

इदान्नं, इम आपः इदज्य, इद विः
ान‌, पुरोहित, राज, विः
क्रांतिः क्रांतिः र्वग्व क्रांतिः
ांतिः ांतिः ांतिः र्वग्व ांतिः
भ्रांतिः भ्रांतिः भ्रांतिः र्वग्व भ्रांतिः
ाओ ाओ ाओ ाओ
ाओ ाओ ाओ ाओ
घेराओ घेराओ घेराओ घेराओ
निभाओ निभाओ निभाओ निभाओ

लों में एक अप ,
अंगीकरण, शुद्धीकरण, राष्ट्रीकरण
मुष्टीकरण, तुष्टिकरण‌, पुष्टीकरण
ऎतराज़‌, आक्षेप, अनुशास
द्दी आजन्म ज्रास
ट्रिब्यून‌, आश्वास
गुटनिरपेक्ष, त्तासापेक्ष जोड़‌-तोड़
‌-ंद‌, मिथ्य, होड़होड़
ास‌, उदाट
ारण मोह उच्चाट

ाली ाली ाली ाकाली ाकाली
ार ार ार ार ाय ाली
अपनी खुशाली
दुश्मनों की ामाली
ार, ार, ार, ार, ार, ार, ार
अपोजीश के मुंड ने तेरे ले ार
ऎं ह्रीं क्लीं हूं आङ
ायेंगे तिल और ाँधी की ाँग
बूढे़ की आँख, छोकरी ाज
तुलसीद, बिल्वत्र, न्द, रोली, अक्ष, ंगाज
शेर के ाँत, ालू के ाखून‌, र्क फोत
मेश मेश राज रेग मेरा पोत
छूः छूः फूः फूः फिट फुट
त्रुओं की ाती अर लोह कुट
भैरों, भैरों, भैरों, रंगली
ंदूक टोट, पिस्तौल की ली
डॉल, रूब, ाउंड
ाउंड, ाउंड, ाउंड


रती, रती, रती, व्योम‌, व्योम‌, व्योम‌, व्योम
अष्टातुओं के ईंटो के ट्टे
ामहिम, हमहो उल्लू के ट्ठे
दुर्ग, दुर्ग, दुर्ग, ारा, ारा, ारा
इसी पेट के अन्द ाय र्वारा
रिः त्स, रिः त्स

[रचनाकार: - बाबा नागार्जुन ; प्रकाशित वर्ष : - 1969]

No comments:

Post a Comment