"कम्युनिज्म के पंडे"
आ गये दिन एश के!मार्क्स तेरी दाड़ी में जूं ने दिये होंगे अंडे
निकले हैं, उन्हीं में से कम्युनिज्म के चीनी पंडे
एक नहीं, दो नहीं तीन नहीं, बावन गंडे
लाल पान के गुलाम ढोयेंगे हंडे
सर्वहारा क्रांति की गैस के
आ गये अब तो दिन ऐश के
ठी-ठी-ठी
मचा रहे ऊधम बहोत
शांति के कपोत
पीले बिलौटे ने मार दिया पंजा
सर हुआ घायल लेनिन का गंजा
हंसता रहा लिउ शाओ ची
फी-फी-फी
[ रचनाकार: - बाबा नागार्जुन ]
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