"बोआई का गीत"
गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज
बदरा पानी दे !
क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत
बोने वालो ! नई फसल में बोओगे क्या चीज ?
बदरा पानी दे !
मैं बोऊंगा बीर बहूटी, इन्द्रधनुष सतरंग
नये सितारे, नयी पीढियाँ, नये धान का रंग
बदरा पानी दे !
हम बोएंगे हरी चुनरियाँ, कजरी, मेहँदी -
राखी के कुछ सूत और सावन की पहली तीज !
बदरा पानी दे !
[ रचनाकार: - डॉ. धर्मवीर भारती ]
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