August 18, 2010

"कोसल में विचारों की कमी है" - श्रीकांत वर्मा

 "कोसल में विचारों की कमी है"

महाराज बधाई हो; महाराज की जय हो !
युद्ध नहीं हुआ –
लौट गये शत्रु ।

वैसे हमारी तैयारी पूरी थी !
चार अक्षौहिणी थीं सेनाएं
दस सहस्र अश्व
लगभग इतने ही हाथी ।

कोई कसर न थी ।
युद्ध होता भी तो
नतीजा यही होता ।

न उनके पास अस्त्र थे
न अश्व
न हाथी
युद्ध हो भी कैसे सकता था !
निहत्थे थे वे ।

उनमें से हरेक अकेला था
और हरेक यह कहता था
प्रत्येक अकेला होता है !
जो भी हो
जय यह आपकी है ।
बधाई हो !

राजसूय पूरा हुआ
आप चक्रवर्ती हुए –

वे सिर्फ़ कुछ प्रश्न छोड़ गये हैं
जैसे कि यह –
कोसल अधिक दिन नहीं टिक सकता
कोसल में विचारों की कमी है ।

[ रचनाकार: - श्रीकांत वर्मा ]

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