September 6, 2010

"सोन-मछली" - अज्ञेय

"सोन-मछली"

हम निहारते रूप
काँच के पीछे
हाँप रही है, मछली ।

रूप तृषा भी
(और काँच के पीछे)
हे जिजीविषा ।

[ रचनाकार: - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' ]

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