July 5, 2010

"क्या कव्वा भी चहचहा रहा था" - विष्णु नागर

"क्या कव्वा भी चहचहा रहा था"

उसने कहा -
आज क्या सुबह थी
क्या हवा थी
कितनी मस्ती से पक्षी चहचहा रहे थे
मैंने कहा रुको
क्या तुम्हारा मतलब ये है
कि कव्वे भी चहचहा रहे थे?

[ रचनाकार: - विष्णु नागर ]

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