July 27, 2010

"पंथ में सांझ" - नामवर सिंह

"पंथ में सांझ"

पथ में सांझ
पहाड़ियाँ ऊपर
पीछे अँके झरने का पुकारना।
सीकरों की मेहराब की छाँव में
छूटे हुए कुछ का ठुनकारना।
एक ही धार में डूबते
दो मनों का टकराकर
दीठ निवारना।
याद है : चीड़ी की टूक से चांद पै
तैरती आँख में आँख का ढारना?

[ रचनाकार: नामवर सिंह ] 

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